जीवन में श्रम
का विशेष महत्व
है । मेहनत
वह सुनहरी कुंजी
है जो भाग्य
के बंद कपाट
खोल देती है
। परिश्रम ही
जीवन की सफलता
का रहस्य है
।
परिश्रम का अर्थ है ‘उद्द्य्म’ अथवा ‘मेहनत’ । परिश्रम वह माध्यम है जो मनुष्य को मनोरथ की मंजिल तक पंहुचाता है । श्रम के मुख्य दो भेद होते हैं- मानसिक श्रम और शारीरिक श्रम । मनन, चिंतन, अध्ययन मानसिक श्रम है । शरीर के द्वारा किये जाने वाले शर्म को शारीरिक श्रम कहते हैं । जीवन में मानसिक और शारीरिक श्रम दोनों का अपना अपना महत्व है ।
मानव जीवन में परिश्रम की महिमा असीम है । यही राजा को रंक और दुर्बल को सबल बना देती है । परिश्रमी व्यक्ति अपना भाग्य-विधाता और समाज का निर्माता होता है । जिस देश के लोग परिश्रमी होते हैं, वह राष्ट्र उतनी अधिक उन्नति करता है । चीन, जापान, अमेरिका आदि इसके उदाहरण हैं ।
प्रकृति भी हमें परिश्रम करने की प्रेरणा देती है । चींटियाँ और मधुमखियाँ प्रकृति की प्रेरणा स्त्रोत हैं । आलस्य मनुष्य का बहुत बड़ा शत्रु है । श्रम ही जीवन है, वही मनुष्य का सच्चा मित्र है । इसलिए कहा जाता है ‘श्रममेव जयते’ ।
परिश्रम का अर्थ है ‘उद्द्य्म’ अथवा ‘मेहनत’ । परिश्रम वह माध्यम है जो मनुष्य को मनोरथ की मंजिल तक पंहुचाता है । श्रम के मुख्य दो भेद होते हैं- मानसिक श्रम और शारीरिक श्रम । मनन, चिंतन, अध्ययन मानसिक श्रम है । शरीर के द्वारा किये जाने वाले शर्म को शारीरिक श्रम कहते हैं । जीवन में मानसिक और शारीरिक श्रम दोनों का अपना अपना महत्व है ।
मानव जीवन में परिश्रम की महिमा असीम है । यही राजा को रंक और दुर्बल को सबल बना देती है । परिश्रमी व्यक्ति अपना भाग्य-विधाता और समाज का निर्माता होता है । जिस देश के लोग परिश्रमी होते हैं, वह राष्ट्र उतनी अधिक उन्नति करता है । चीन, जापान, अमेरिका आदि इसके उदाहरण हैं ।
प्रकृति भी हमें परिश्रम करने की प्रेरणा देती है । चींटियाँ और मधुमखियाँ प्रकृति की प्रेरणा स्त्रोत हैं । आलस्य मनुष्य का बहुत बड़ा शत्रु है । श्रम ही जीवन है, वही मनुष्य का सच्चा मित्र है । इसलिए कहा जाता है ‘श्रममेव जयते’ ।